एक कोरोना रोगी से एक अरब टीकाकरण तक
तेजी से बढ़े कदम, मंजिल पाएंगे हम
प्रदीप सरदाना
वरिष्ठ पत्रकार एवं विश्लेषक
भारत में जब 30 जनवरी 2020 को कोरोना का पहला रोगी मिला था, तब किसी ने स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा कि यह कोरोना अब भारत में भी अपने पाँव पसार लेगा। चीन से शुरू हुआ यह रोग ‘कोविड 19’ के रूप में एक ऐसी वैश्विक महामारी बन जाएगा जिसका नाम सुनते ही लोग थर थर काँपने लगेंगे। दिसंबर 2019 में चीन के बाद सन 2020 के शुरू में इटली, स्पेन, ब्राज़ील अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कितने ही देशों में कोविड के मामले बढ़ते जा रहे थे। मार्च 2020 में जब भारत में भी कोरोना के खतरे की आहट साफ सुनाई देने लगी तो बड़ी चिंता स्वाभाविक थी। क्योंकि जब 6 करोड़ से 35 करोड़ की जनसंख्या और अत्याधुनिक चिकित्सीय सुविधाओं का दम भरने वाले देशों में भी,यह रोग तबाही मचा रहा है। तब 135 करोड़ वाले हमारे भारत में यदि कोरोना फैला तो यह सब कुछ तहस नहस कर देगा। हम तो यूरोपीय, अमेरिकी देशों के सामने चिकित्सा सुविधाओं के मामले में तब बहुत पीछे थे।
भारत में इस समय यदि कोई
और नेतृत्व, कोई और प्रधानमंत्री होता तो यह दुस्वप्न सच हो
सकता था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बुद्दिमता,सूझबूझ,दूरदर्शिता,अपने कुशल
नेतृत्व और देश के महान वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और प्रथम
पंक्ति के सुरक्षा और सफाई कर्मियों के माध्यम से
भारत को में कोरोना की महामारी से महाविजय दिलाकर सफलता का नया इतिहास लिख
दिया है।
एक अरब
टीकाकरण का कीर्तिमान
अब जब गत 21 अक्तूबर को भारत
ने अपने यहाँ 100 करोड़ वैक्सीन लगाने का आंकड़ा पार किया तो यह मामला स्वर्ण
अक्षरों में अंकित हो गया। भारत का यह एक ऐसा विश्व कीर्तिमान है, जिसे पूरा विश्व महामारी काल में, भारत की एक और
महान उपलब्धि के रूप में देख रहा है। भारत ने देश के कई विपक्षी दलों के महाविरोध
और कितनी ही विकट परिस्थितियों के बाद जो यह सफलता पाई है उसकी जितनी प्रशंसा की
जाये कम है।
हालांकि हम अभी देश से पूरी तरह कोरोना समाप्त होने का उत्सव नहीं मना सकते। आने वाले दो तीन महीने अभी और हमारी परीक्षाओं के दिन रहेंगे। लेकिन 30 जनवरी 2020 से 21 अक्तूबर 2021 के 631 दिन तक की यात्रा में हमारे देश में कोरोना की मुश्किल जंग पर जो जीत हासिल की है, उसका जश्न तो बनता है। ‘एक कोरोना रोगी से एक अरब टीकाकरण तक’ का यह सफर,चाहे कई उतार चढ़ावों से गुजरा। लेकिन जो एक विश्वास हमेशा कायम रहा, वह यह था-हम होंगे कामयाब। इसलिए यह कामयाबी,यह जश्न शक्ति और उत्साह देने के साथ हमको तो प्रेरित करता ही है। साथ ही विश्व को भी प्रेरित करता है कि भारत ने विशाल जनसंख्या और सीमित साधनों के बावजूद इतना सब करके दिखा दिया ।
इस पर दिल्ली ही नहीं देश
के प्रतिष्ठित ‘प्रभात प्रकाशन’ के प्रमुख
प्रभात कुमार कहते हैं-‘’यह प्रधानमंत्री मोदी की अप्रतिम
जिजीविषा और संकलपशक्ति का प्रमाण है कि देश में मात्र 9 महीने में ही 100 करोड़
टीकाकारण संभव हो सका। साथ ही कुछ अन्य देशों को भी भारत द्वारा अपने यहाँ निर्मित
टीके भेजने से, ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ का हमारा दर्शन भी इससे चरितार्थ हुआ।‘’
यूं आंकड़ों के अनुसार टीकाकरण के मामले में फिलहाल चीन पहले नंबर पर है। भारत दूसरे नंबर पर। हालांकि चीन के आंकड़ों पर हम सहसा विश्वास नहीं कर सकते। यहाँ तक चीन की वैक्सीन की विश्वसनीयता में भी पाकिस्तान के अलावा किसी और देश को खास भरोसा नहीं है। फिर यह भी कि टीकाकरण के आरंभिक चरणों में हम अप्रैल और मई 2021 में विश्व में सबसे आगे थे। अभी भी टीकाकरण में भारत यूरोप, अमेरिका, ब्राज़ील, जापान, जर्मनी, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली जैसे तमाम देशों से आगे है। इस 100 करोड़ के टीकाकरण के पार के बाद भारत अब एक ऐसा देश हो गया है जिसमें करीब 71 करोड़ लोगों को एक टीका और करीब करीब 30 करोड़ लोगों को दोनों टीके लग चुके हैं।
देश के जाने माने चिकित्सक डॉ अचल शंकर दवे भी इस बात से अभिभूत हो कहते हैं-‘’प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी नीतियों और दिन रात के परिश्रम से भारत में कोरोना की रफ्तार को जिस तरह थामा है वह उनकी बड़ी सफलता है। मैं पिछले कुछ समय से कैम्ब्रिज में अपने पुत्र डॉ आशीष के साथ हूँ। लेकिन मैं यहाँ जब समाचारों में देखता हूँ कि भारत में अब कोरोना के 12 से 15 हज़ार रोगी ही आ रहे हैं और तो बहुत खुशी मिलती है। क्योंकि ब्रिटेन में टीकाकरण के बावजूद अभी भी रोजाना 40 से 45 हज़ार मरीज आ रहे हैं। भारत में 130 करोड़ की आबादी के बाद कोरोना और वैक्सीनेशन में इतनी बड़ी उपलब्धि पीएम मोदी के कुशल नेतृत्व और उनकी पूरी टीम की कर्मठता से ही मिल सकी है।‘’
वैश्विक
प्रशंसा
भारत में जिस तीव्र गति से
टीकाकरण हो रहा है और कोरोना को हराने में हम विश्व के मुक़ाबले जिस तरह ज्यादा सफल
हो रहे हैं, उसकी प्रशंसा अंतरराष्ट्रीय संगठन भी मुक्त कंठ
से करते आ रहे हैं। भारत के 100 करोड़ के टीकाकरण के लक्ष्य की सफलता पर तो दुनिया
भर से प्रधानमंत्री मोदी को बधाइयाँ मिल रही हैं। लेकिन इधर विश्व बैंक के अध्यक्ष
डेविड मलपास ने हाल ही में वाशिंगटन में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से
भेंट के दौरान भारत के वैक्सीनेशन रिकॉर्ड की सराहना करते हुए बधाई दी। उधर
संयुक्त राष्ट्र तो कोरोना को लेकर भारत की विभिन्न नीतियों और कार्यशैली की 18
अप्रैल 2020 से लेकर इस वर्ष 29 जनवरी, 21
फरवरी और 25 मार्च को भी तारीफ कर चुका है। साथ ही विश्व स्वास्थ
संगठन भी पिछले वर्ष 4 जुलाई और इस वर्ष 4 जनवरी, 11 फरवरी और 26 फरवरी सहित और भी कुछ मौकों पर भारत की प्रशंसा करने में पीछे
नहीं रहा।
इस पर वरिष्ठ रंगकर्मी और ‘उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र’, प्रयागराज
के निदेशक सुरेश शर्मा अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहते हैं- ‘’भारत और पीएम मोदी की पूरी दुनिया में सराहना तो बनती ही है। मोदी जी ने असंभव
को संभव करके जो कार्य कर दिखाया है, वह किसी आम
प्रधानमंत्री के लिए कतई संभव नहीं था। हर देश वासी को अपने प्रधानमंत्री के इन
महान कार्यों पर, उनकी दूरदर्शिता पर गर्व होना चाहिए।‘’
विपक्ष
की शर्मनाक भूमिका
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना संकट की गंभीरता को समझते हुए जिस तरह मार्च 2020 में ही इसकी रोकथाम और बचाव की कमान अपने हाथ में लेकर एक के बाद एक करके जो कारगर कदम उठाए, उन्हें देश की जनता ने ही नहीं दुनियाभर ने सराहा। लेकिन हमारे यहाँ विपक्ष के कुछ नेताओं और कुछ देश विरोधी ताकतों को पीएम मोदी की दुनिया भर में जय जय कार रास नहीं आई। कॉंग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे दलों के राहुल गांधी, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल जैसे राजनेताओं के साथ कुछ अन्य नेता भी मोदी की लोकप्रियता को देख ईर्ष्या में घटिया राजनीति और शर्मनाक बातें करते रहे। इन और इन जैसे कुछ और नेताओं ने पीएम मोदी के हर कदम का विरोध करने के साथ जनता को जमकर भड़काया।
इसलिए पीएम मोदी के हर अच्छे कदम का विरोध करना इन और इन जैसे कुछ और नेताओं का नियमित नियम सा हो गया। मोदी ने लॉकडाउन लगाया तो क्यों, नहीं लगाया तो क्यों नहीं। जल्दी वैक्सीन बनकर तैयार हो गयी तो विपक्ष के नेताओं ने उसे बिना प्रमाणिक और जल्द बाजी वाली, जानलेवा वैक्सीन कहना शुरू कर दिया। यहाँ तक अखिलेश यादव ने तो देश में निर्मित हमारी अपनी वैक्सीन को भाजपा की वैक्सीन तक कह दिया। साथ ही यह भी कि वह भाजपा की वैक्सीन नहीं लगवाएंगे। असल में विपक्ष के इन नेताओं को लगा कि वैक्सीन आने से देश में कोरोना थम जाएगा तो हम मोदी को कैसे कोसेंगे।
दिल्ली उच्च न्यायालय की
प्रसिद्द वकील रेखा अग्रवाल कहती हैं-‘’विपक्षी दलों के
कई नेताओं ने हमारी वैक्सीन के प्रति जनता को जमकर भ्रमित किया। अपनी कुंठाएं और
राजनीति दर्शाई। लेकिन इस सबके बावजूद आज भारत वैक्सीन लगवाने के, भय और अंधकार दोनों खत्म हो गए हैं। एक अरब वैक्सीन लगना इस बात का
प्रमाण हैं कि लोगों ने विपक्ष की नहीं अपने प्रधानमंत्री मोदी की बात सुनी।‘’
जनता
कर्फ़्यू से शुरू हो गया था पीएम का अभियान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना लहर के भारत आगमन पर पहली बार 19 मार्च 2020 को राष्ट्र के नाम अपने सम्बोधन से ही कोरोना के विरुद्ध अपना बड़ा अभियान छेड़ दिया था। जब मोदी ने उस दिन देशवासियों से 22 मार्च को जनता कर्फ़्यू की घोषणा करते हुए सभी को उस दिन घर के भीतर रहने की अपील की तो, उनकी एक आवाज़ पर भारत एक हो गया।
कभी दिल्ली के बेहद योग्य मुख्य
सचिव के रूप में मशहूर रहे उमेश सैगल कहते हैं-‘’यह प्रधानमंत्री
मोदी की दूर की सोच थी कि जनता कर्फ़्यू के साथ ‘जान है जहान
है’ जैसे कोरोना के अपने पहले नारे से उन्होंने देश को
कोरोना युद्द के लिए तैयार कर लिया। बड़ी बात यह थी कि 22 मार्च को एक बच्चा भी सड़क
पर नहीं निकला। जबकि विपक्ष ने जनता कर्फ़्यू को असफल करने में पूरी ताकत झोंक दी
थी। इसलिए मैं भारत में कोरोना की रोकथाम का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी के साथ भारत की उस जनता को भी दूंगा, जिस जनता का बड़ा वर्ग पीएम मोदी के साथ खड़े रहकर, उनकी
बातों को लगातार मानता रहा। लेकिन गैर भाजपा शासित प्रदेश केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली ने अपनी बदइंतजामी से काफी निराश किया। आज भी केरल
देश का सर्वाधिक शिक्षित राज्य होते हुए अपने कुप्रबंधन के कारण देश को सर्वाधिक
कोरोना रोगी दे रहा है। दिल्ली में तो केंद्र सरकार ने आगे बढ़कर स्थितियाँ संभाल
ली, वरना केजरीवाल सरकार तो कोरोना नहीं, मोदी विरोधी अभियान के कार्यों में ही ज्यादा जुटी थी।‘’
उत्तर
प्रदेश, हिमाचल और उत्तराखंड बेहतरीन
यूं तो भारत के कई राज्यों
ने कोरोना की रोकथाम और वैक्सीनेशन में काफी अच्छे कार्य किए। लेकिन उत्तर प्रदेश
देश का ऐसा राज्य है जो प्रतिदिन लगभग 12 लाख टीके लगाकर सबसे ऊपर चल रहा है। उधर
हिमाचल देश का सबसे पहला और उतराखंड देश का दूसरा ऐसा राज्य बन गया है जहां टीका
लगवाने के लिए समस्त योग्य जनसंख्या को टीके की पहली खुराक मिल चुकी है। दिल्ली के
जाने माने गीतकार विनोद शर्मा कहते हैं ‘’हिमाचल और
उतराखंड जैसे दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में शत प्रतिशत टीकाकारण एक अद्दभुत उपलब्धि
है।‘’
उधर लखनऊ निवासी प्रसिद्द
संगीत अध्येता, समीक्षक और ‘हिन्दी सिने
राग-इन्साइक्लोपीडिया’ जैसी श्रेष्ठ पुस्तक के लेखक के एल
पांडे कहते हैं-‘’ इस आपदा प्रबंध के लिए प्रधानमंत्री मोदी
के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी की जितनी प्रशंसा की जाये, कम है। उत्तर प्रदेश में एक वर्ग के विरोध के बावजूद यहाँ सर्वाधिक
टीकाकारण होना गौरव की बात है। मोदी जी के इन कार्यों से देश की जनता का विश्वास
उनके प्रति और भी बढ़ा है।‘’
कोलकाता के सामाजिक और राजनैतिक कार्यकर्ता तथा संगीत विशेषज्ञ कमल बेरीवाला कहते हैं – ‘’मोदी जी की कोरोना को लेकर नीतियाँ शुरू से अच्छी और पारदर्शी थीं। हालांकि एक खास वर्ग ने देश में कोरोना को फैलाने में एक खास मुहिम चलाई। एक मज़हबी स्थल पर देश विदेश के आए ऐसे अनेक लोगों ने छिपकर,कोरोना के कायदे कानून ताक पर रख दिये। फिर ऐसे ही कुछ लोगों ने जगह जगह थूक कर,फलों आदि पर थूक से चिट चिपकाकर और मास्क न लगाने के साथ टीका न लगवाने का अभियान चलाया। लेकिन मोदी जी ने ऐसे लोगों को भी टीकाकरण से जोड़ने में सफलता पा ली।‘’
आरोग्य सेतु एप और जड़ी बूटियों का महत्व भी बढ़ा
कोरोना काल में पीएम मोदी के अथक प्रयासों से आरोग्य सेतु एप और कोविन पोर्टल की विशिष्ट भूमिका रही। साथ ही इस दौरान योग, जड़ी बूटियों का भी महत्व बढ़ा। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कोरोना के बचाव के लिए कोरोनिल सहित विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियाँ और पेय आदि निकालकर कोरोना को मात देने में एक खास भूमिका निभाई। दिल्ली के उत्साही चार्टेड अकाउंटेंट नवीन कुमार कहते हैं-‘’100 करोड़ टीकाकरण के लक्ष्य पर पहुँचने के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी को बधाई देते हुए कहना चाहूंगा, जड़ी बूटियों से हमारे प्राचीन आयुर्वेद को विश्व भर में मान्यता मिली। साथ ही इससे हमारी आयुर्वेदिक दवाओं को विश्व पटल पर बड़ा बाज़ार मिलने से आर्थिक व्यवस्था को भी लाभ हुआ।‘’
दिल्ली के ही जाने माने समाजसेवी और बरसों से कई व्यापारिक, सामाजिक संस्थाओं का
प्रतिनिधित्व कर रहे विनोद बंसल बताते हैं-‘’मोदी जी ने योग
दिवस पर योग का जो पाठ पढ़ाया था, वह कोरोना काल में बहुत काम
आया। साथ ही नोटबंदी के दिनों में डिजिटल इंडिया होने से कोरोना में लेन-देन, व्यापार इतनी जल्दी सरल और सहज हो गया जिसके बारे में कभी सोचा भी नहीं
जा सकता था।
मोदी के
संबोधनों से जनता से हुआ सीधा संवाद
यहाँ यह बात भी है कि जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना काल में लगातार अपने सम्बोधनों के माध्यम से संपर्क बनाए रखा, उससे जनता का संबल बढ़ा, उन्हें सभी जानकारियों, सावधानियों और सरकार की ओर से सुविधाओं के बारे में सीधे प्रधानमंत्री से पता लगता रहा। कोरोना की पहली लहर के दौरान ही कोरोना को लेकर 19 मार्च से 20 अक्तूबर 2020 तक प्रधानमंत्री मोदी देश की जनता को सात बार संबोधित कर चुके थे। खास बात यह थी कि समय और बदलते हालात में प्रधानमंत्री ने इस दौरान कोरोना को लेकर विभिन्न नारे गढ़े। जैसे ‘जान भी जहान भी’, ‘दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी’, ‘जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाइ नहीं’ और ऐसे ही ‘दवाई भी कड़ाई भी’। इन नारों का जनता पर काफी गहरा असर पड़ा। दिल्ली की चिरपरिचित कवयित्री उर्वशी अग्रवाल कहती हैं- ‘’मोदी जी के संबोधनों से देश हित में उठाए उनके समस्त कदमों की जानकारी के साथ, देश की गरीब जनता, मजदूरों और निम्न आय वर्ग की 85 प्रतिशत जनसंख्या को इस दिवाली तक मुफ्त राशन देने की जानकारी भी उनके इन्हीं संबोधनों के माध्यम से जन जन तक पहुँचीं।‘’
प्रधानमंत्री मोदी ने
आठवीं बार 20 अप्रैल 2021 को तब भी देश के नाम अपना सम्बोधन किया जब दूसरी लहर के
चलते देश में एक महीना काफी खतरनाक रहा। लेकिन समय रहते युद्द स्तर जैसे, ऐसे कदम उठाए गए कि 15 दिन के भीतर ही स्थितियाँ काफी हद तक नियंत्रित
होने लगीं।
विश्व प्रसिद्द जादूगर
सम्राट शंकर कहते हैं –‘’दूसरी लहर के संकट में
प्रधानमंत्री मोदी ने संकट मोचक बनकर जिस तरह रातों रात विश्व के कई देशों से
ऑक्सीज़न के अनेक टैंक और वेंटिलेटर्स हवाई मार्ग से मंगाए, जिस
तीव्र गति से नए गैस प्लांट लगाये, रुके प्लांट में तुरंत
ऑक्सीज़न उत्पादन शुरू कराया वह किसी जादू से कम नहीं था। उनके इन और ऑक्सीज़न
एक्स्प्रेस जैसे कितने ही कार्यों से चंद दिनों में ही, देश
से ऑक्सीज़न संकट ही नहीं कोरोना संकट भी काफी दूर हो गया।‘’
‘आत्मनिर्भर भारत’ की भी रही अहम भूमिका
‘शिवा- द आदि एच आर’ जैसी चर्चित पुस्तक के लेखक और उत्साही युवा एस्ट्रो सार्थक गुलाटी बताते
हैं-‘’जब हमारे यहाँ कोरोना की पहली लहर आई तब हमारे यहाँ
मास्क, सेनेटाइज़र, पीपीई किट्स, वेंटिलेटर्स जैसी सभी वस्तुओं का जबर्दस्त अभाव था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी
ने, विपदा काल में भी ‘आत्मनिर्भर भारत’ का जो मूल मंत्र दिया, उससे भारत की दिशा और दशा दोनों
बदल गईं। कुछ ही दिनों में भारत ने स्वयं ही इन सभी वस्तुओं का इतने बड़े पैमाने पर
निर्माण करना शुरू कर दिया कि हमको विदेशों पर निर्भर नहीं होना पड़ा। फिर गिरती
अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए प्रधानमंत्री ने उद्योगों की सहायता के लिए 20 लाख
करोड़ का पैकेज देकर देश की अर्थव्यवस्था को भी संभाले रखा।‘’
उधर देश में ही वैक्सीन निर्माण और टीकाकरण की सफलता पर दिल्ली एनसीआर के सबसे बड़े अस्पताल जेपी के जाने माने डॉ (कर्नल) सुबोध कुमार भी बताते हैं-‘’अब से पहले देश में वैक्सीन बरसों बाद उपलब्ध होती थीं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से पहली बार ऐसा हुआ कि भारत ने कम समय में कोविड के दो दो टीके का निर्माण कर लिया। इससे देश को वैक्सीन के लिए न तो भारत को विदेशों की मुश्किल शर्तें मानने के लिए मजबूर होना पड़ा, न लंबा इंतज़ार करना पड़ा। फिर प्रधानमंत्री ने वैक्सीन को तीव्र गति से बनाने से लेकर उसे जल्द से जल्द लगवाने की जो नीतियाँ बनाईं, उसी से आज हम विश्व भर में सर्वाधिक सफल हैं।‘’
कुरुक्षेत्र के शिक्षाविद और ‘मृत्युंजय’ और ‘प्रभा’ जैसी पुस्तकों के लेखक रत्न चंद सरदाना कहते
हैं-‘’चुनौतियां कितनी भी विकराल क्यों न हों, मोदी जी के सम्मुख आते ही लड़खड़ा
जाती हैं। कोविड से जहाँ बहुत देशों के अभी तक हाथ पाँव
फूले हुए हैं, वहीँ हमारे देश ने न केवल मुफ्त में टीके लग रहे हैं। वहाँ अब
अर्थव्यवस्था भी पटरी पर लौट आई है।‘’
सच में यह भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसके लिए
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और टीकाकरण अभियान में लगे सभी लोग बधाई के पात्र हैं।
(73 वर्ष से लगातार प्रकाशित प्रसिद्ध
पत्रिका 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक में 31 अक्तूबर 2021 अंक में, भारत में कोरोना यात्रा को लेकर मेरा एक विश्लेषण लेख)
प्रदीप सरदाना
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