सिनेमा 2021- डोलता रहा सिनेमा का सिंहासन

 

 - प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

सिनेमा के लिए साल 2021 कुछ अजब गज़ब रहा। यूं भारतीय सिनेमा को अपने 100 से लंबे बरसों के इतिहास में कई बार चुनौतियाँ मिली हैं। लेकिन पिछले दो बरसों में कोरोना ने सिनेमा को जिस तरह की चुनौती दी वह अभूतपूर्व रही। साथ ही यह भी कि 2020 और फिर 2021 की बिदाई के बाद जिस तरह कोरोना खत्म नहीं हुआ, उसी तरह सिनेमा की चुनौतियाँ भी खत्म नहीं हुईं हैं। नव वर्ष के प्रवेश के समय भी कुछ वैसी ही स्थिति है जैसी 2021 के आगमन पर थी। लेकिन इस बार बड़ी बात यह है कि 2022 को लेकर सिनेमा वैसा डरा हुआ नहीं है जैसा 2021 के शुरुआती महीनों में डरा हुआ था। 

हालांकि 2021 में पूरे बरस सिनेमा का शक्तिशाली सिंहासन हिलता रहा,डोलता रहा। लेकिन साल के अंतिम दो महीनों में सिनेमा की टूटटी साँसों को जो ऑक्सीज़न मिली उससे सिनेमा को जीवन दान मिल गया है। वह भी ऐसा जीवन कि आज की विकट परिस्थितियों में भी सिनेमा के होंसले बुलंद हैं।

डूबते, उखड़ते सिनेमा को यह ऊर्जा नवंबर और दिसंबर के दो महीनों में तीन फिल्मों सूर्यवंशी’,‘स्पाइडर-मैन-नो वे होम और पुष्पा से मिली। इन तीनों फिल्मों ने पिछले दो महीनों में बॉक्स ऑफिस पर सफलता के ऐसे झंडे गाढ़े कि फिल्मी दुनिया के उदास चेहरे खिल उठे। इन फिल्मों में खास बात यह भी रही कि इनमें एक फिल्म हिन्दी की है, दूसरी हॉलीवुड की अंग्रेजी फिल्म और तीसरी तेलुगू मूल की हिन्दी सहित 5 भाषाओं की प्रादेशिक फिल्म है। इन तीनों ही फिल्मों का टिकट खिड़की पर बिजनेस करीब करीब 200 करोड़ रुपए के आसपास है। इससे पौने दो साल से सिनेमा की जो धरती भयंकर सूखे के कारण बंजर सी दिख रही थी अब वहाँ अचानक हरियाली लहरा उठी।

असल में यह पहला मौका था जब हमारे सिनेमा के इतिहास में एक बरस से भी ज्यादा समय के लिए सिनेमाघर लगभग बंद रहे। ऐसे में कुछ निर्माताओं ने 2020 में ही अपनी कुछ फिल्मों को डिजिटल रिलीज के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दे दिया। इससे देखते देखते ओटीटी का कारोबार फलने फूलने लगा। इस वर्ष तो ओटीटी पर रिलीज-शेरशाह, मिमी,बिग बुल,शेरनी,पगलेट,सरदार उधम, तूफान,रश्मि रॉकेट,बॉब बिस्वास और अतरंगी रे जैसी फिल्मों को जमकर सफलता मिली। जबकि अपनी बोल्ड और लीक से हटकर बनी वेब सीरीज के कारण ओटीटी पहले ही लोकप्रिय हो चुका था। इस बरस भी महारानी, गुल्लक, द फेमिली मैन -2, ग्रहण, कोटा फेक्टरी, मुंबई डायरीज 26/11, तांडव और द एम्पायर जैसी कई वेब सीरीज सुर्खियों में बनी रहीं। फिर दर्शकों को यह सब घर बैठे मात्र पॉपकॉर्न की कीमत पर मिल रहा था।

इसलिए बड़े फ़िल्मकारों के साथ अरबों-खरबों के थिएटर्स-मल्टीप्लेक्स वालों की सबसे बड़ी चिंता यही थी कि दर्शकों को घर बैठे सस्ते में इतना सारा मनोरंजन मिल रहा है तो वे अब सिनेमा खुलने पर वहाँ जाकर, महंगी टिकटें लेकर फिल्में क्यों देखेंगे। लेकिन हालिया फिल्मों की सफलता ने यह साबित कर दिया कि दर्शकों में थिएटर में फिल्म देखने की दीवानगी बरकरार है। थिएटर्स खुलते ही वहाँ जिस तरह भारी संख्या में दर्शक पहुंचे हैं, उससे साफ हो गया है कि आज भी दर्शकों की पहली पसंद थिएटर्स हैं।

उपरोक्त बड़ी तीन फिल्मों के अलावा एक और फिल्म रणवीर सिंह की क्रिकेट वर्ल्ड कप 1983 में भारत की शानदार जीत पर बनी ‘83’ भी दर्शकों को पसंद आई। लेकिन यह फिल्म महानगरों में तो फिर भी चली लेकिन छोटे शहरों के दर्शकों ने इस अच्छी फिल्म में खास दिलचस्पी नहीं ली। फिर कोरोना के चलते दिल्ली सहित कई और जगह कहीं पूरे कहीं आधे थिएटर बंद होने के कारण भी यह फिल्म एक सप्ताह में कुल 65 करोड़ रुपए के आसपास ही व्यवसाय कर पाई है। जो इस बड़ी फिल्म के लिए कम है। लेकिन इस दौरान कुछ कम बजट की फिल्मों ने भी ठीक ठाक बिजनेस किया। जैसे चंडीगढ़ करे आशिकी, तड़प और रुही 

उधर कुछ बड़े बैनर और बड़े सितारों वाली फिल्में औंधे मुंह गिर भी गईं। इनमें सलमान खान को तो सबसे बड़ा धक्का लगा। सलमान की फिल्म राधे थिएटर्स पर तो कई प्रयासों के बाद भी सुपर फ्लॉप साबित हुई। साथ ही ओटीटी पर भी इस फिल्म को पसंद नहीं किया गया। यहाँ तक सलमान की अपने जीजा आयुष शर्मा के साथ आई फिल्म अंतिम भी बॉक्स ऑफिस पर अपनी लागत ही निकाल पाई।

यूं इस बरस सिर्फ करीब 50 हिन्दी फिल्में ही थिएटर्स पर प्रदर्शित हो सकीं। जबकि कोरोना काल से पहले औसतन 150 हिन्दी फिल्में प्रदर्शित होती रही हैं। इन 50 प्रदर्शित फिल्मों में भी जो और चर्चित फिल्में फ्लॉप हुईं उनमें अमिताभ बच्चन की चेहरे, अक्षय कुमार की बेल बॉटम’, कंगना रानौत की थलावी, जॉन अब्राहम की सत्यमेव जयते-2’, रानी मुखर्जी-सैफ अली की बंटी और बबली-2’, परिणीती चोपड़ा की सायना और संदीप और पिंकी फरार तो हैं हीं। साथ ही नसीरुद्दीन शाह की राम प्रसाद की तेहरवीं तो इतनी बुरी तरह फ्लॉप हुई कि यह फिल्म,टिकट खिड़की पर मात्र 20 लाख रुपए ही एकत्र कर पाई। एक और फिल्म अनूप थापा की ये मर्द बेचारा बॉक्स ऑफिस पर तो नहीं चली। लेकिन अपने विषय के कारण सुर्खियों में रही।

इस वर्ष को सितारों की सफलता-असफलता की नज़र से देखें तो यह साल तीनों बड़े खान सितारों के लिए बेहद खराब रहा। शाहरुख और आमिर की तो लगातार दो साल से कोई भी फिल्म न थिएटर पर आई और न ओटीटी पर। आमिर खान तो अपनी दूसरी पत्नी किरण राव को तलाक देने के कारण काफी बदनामी में भी घिरे रहे। सलमान की दो फिल्म आयीं। लेकिन सफलता किसी को नहीं मिली। राधे के साथ सलमान के टीवी शो बिग बॉस का भी सुपर फ्लॉप होना तो उनके लिए खतरे की बड़ी घंटी है। फिल्मों में तो अमिताभ भी नहीं चले। लेकिन टीवी शो केबीसी के कारण उनकी और ओटीटी के कारण उनके पुत्र अभिषेक की धूम रही। उधर अक्षय कुमार, कटरीना कैफ के लिए यह साल बढ़िया रहा। इन दोनों की सूर्यवंशी तो सुपर हिट रही ही। साथ ही अक्षय की अतरंगी रे भी ओटीटी पर चर्चित रही। फिर कटरीना को इस बरस विकी कौशल के साथ विवाह रचाने की खुशी भी मिली। यूं इस बरस यामि गौतम-आदित्य धीर,राजकुमार राव-पत्रलेखा और दिया मिर्ज़ा-वैभव रेखी भी विवाह बंधन में बंधे।

इधर इस बरस दक्षिण के सर्वाधिक लोकप्रिय अभिनेता रजनीकांत को देश के सर्वोच्च फिल्म सम्मान दादा साहेब फाल्के से नवाजा गया। वहीं हेमा मालिनी और गीतकार प्रसून जोशी भी 52 वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में सम्मानित हुए।     

वहीं इस बरस जहां फिल्म संसार ने अपने कोहेनूर दिलीप कुमार को खोया।  वहाँ अभिनेता राजीव कपूर,सिददार्थ शुक्ला,बिक्रमजीत कंवरपाल,अमित मिस्त्री, संगीतकार श्रवण और अभिनेत्री सुरेखा सीकरी ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

इधर साल के अंत में फिल्मों की सफलता के बाद जो अच्छी उम्मीदें बंधीं थीं वे कोरोना की नयी दस्तक से फिर धूमिल हो गयी हैं।इससे फिर कुछ फिल्मों का प्रदर्शन आगे खिसक सकता है। लेकिन इतनी उम्मीद तो है कि जब फिर से थिएटर्स पूरी तरह खुलेंगे, अच्छी फिल्में आएंगी तो दर्शक फिर सिनेमाघरों में लौटेंगे।   

(प्रसिद्ध समाचार पत्र 'हरिभूमिके सभी संस्करण में,संपादकीय पृष्ठ पर 31 दिसंबर 2021 को प्रकाशित मेरा लेख)  

प्रदीप सरदाना    

मुझसे Twitter पर जुड़ने के लिए- https://twitter.com/pradeepsardana

मुझसे Instagram पर जुड़ने के लिए- https://www.instagram.com/pradeep.sardana/?hl=en  

मेरे Youtube चैनल से जुड़ने के लिए -  https://www.youtube.com/channel/UChiCnaYESQww2o1nykqWwBw        

Comments

Popular posts from this blog

छोटी ज़िंदगी का बड़ा अफसाना रोहित सरदाना

कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है ब्लैक फंगस का प्रकोप

कभी नौशाद के ‘आशियाना’ में बैडमिंटन खेलते थे रफी और दिलीप कुमार