पुस्तक समीक्षा- आइडिया से परदे तक - फिल्म लेखक बनने वालों के लिए वरदान है-‘आइडिया से परदे तक’

- प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक 

किसी भी फिल्म के लिए पटकथा उसका सबसे प्रबल पक्ष होती है। फिल्म की पटकथा अच्छी, कसी और मंझी हुई हो तो फिल्म अच्छी बन ही जाती है। यहाँ तक अच्छी पटकथा फिल्म की कुछ कमजोर कड़ियों को भी ढ़क देती है। यही कारण है कि सत्यजित राय, सूरज बड़जात्या और राज कुमार हिरानी जैसे कई फ़िल्मकार अपनी फिल्म की पटकथा पर ही सबसे ज्यादा काम करते रहे हैं। लेकिन हमारे यहाँ कई फ़िल्मकार पटकथा से अधिक फार्मूले और मसालों पर ज़ोर देते हैं। यही कारण है कि देश में ढेरों फिल्में बनने के बाद भी अच्छी फिल्मों का अकाल सा रहता है।

अच्छी पटकथा क्या होती है और उसे कैसे लिखा जाये। इस विषय पर अँग्रेजी में तो सैंकड़ों अच्छी पुस्तकें विश्व बाज़ार में उपलब्ध हैं। लेकिन हिन्दी में ऐसी पुस्तकें न के बराबर रही हैं। बरसों से चली आ रही इस बड़ी कमी को हाल ही में आई पुस्तक आइडिया से परदे तक ने काफी हद तक दूर कर दिया है। सही कहा जाये तो फिल्म लेखक बनने वालों और फिल्म स्वप्नजीवियों के लिए यह पुस्तक एक वरदान है। इसे पढ़कर फिल्म लेखन की कला, शिल्प और तकनीक को तो बारीकी से समझा ही जा सकता है। साथ ही यह भी कि अच्छी पटकथा फिल्म निर्माण के अन्य पक्षों के लिए कितनी अहम और कितनी सहायक है।

यह पुस्तक हिन्दी में होने के साथ अच्छी इसलिए बन पड़ी है कि लेखक द्वय स्वयं फिल्म निर्माण के साथ लेखन, पटकथा आदि से जुड़े रहे हैं। फिर ये लेखक जोड़ी यह भी समझती है कि फिल्म लिखने के शौकीन या फिल्मों के विद्यार्थी क्या जानना चाहते है, उनकी समस्या और सपने क्या हैं। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद फिल्म की कहानी और पटकथा से जुड़ी अनेक उलझनें सहज सुलझ सकती हैं।

पुस्तक में कुल 9 अध्याय हैं। आइडिया,शोध,किरदार,कहानी,ढांचा,थीम,दृश्य, संवाद,पहला ड्राफ्ट,पुनर्लेखन और टीवी और वेब के लिए लेखन। जिसमें किसी कहानी के आइडिया को फिल्म, सीरियल या वेब सीरीज की कहानी पटकथा में कैसे बदला जाये वह सब सिलसिलेवार बताया गया है। पुस्तक का एक  खूबसूरत पक्ष इसका परिशिशिष्ट- अक्सर पूछे जाने वाले सवाल भी है जिसमें 51 ऐसे प्रश्नों के उत्तर दिये गए हैं, जो फिल्म लेखक बनने वालों नए लोगों के मन में अक्सर उभरते हैं। देखा जाये तो यह परिशिष्ट इस पुस्तक का सार भी है। साथ ही पुस्तक में 20 हिन्दी और 20 ऐसी अंतरराष्ट्रीय फिल्मों की सूची भी है जो लेखन की दृष्टि से लेखक की पसंदीदा फिल्में हैं। यह पुस्तक इसलिए और भी अहम हो जाती है कि इसकी प्रस्तावना प्रसिद्द और विद्वान फ़िल्मकार डॉ चंद्र प्रकाश दिवेदी ने लिखी है। 

पुस्तक- आइडिया से परदे तक’, लेखक – रामकुमार सिंह, सत्यांशु सिंह, पृष्ठ -168, मूल्य—199 रुपए, प्रकाशक –राजकमल प्रकाशन,दिल्ली।    

प्रसिद्ध समाचार पत्र दैनिक ट्रिब्यून के सभी संस्करण में 14 नवम्बर 2021 अंक में प्रकाशित मेरी समीक्षा कुछ नए इनपुट्स के साथ।  

 


Comments

Popular posts from this blog

छोटी ज़िंदगी का बड़ा अफसाना रोहित सरदाना

कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है ब्लैक फंगस का प्रकोप

कभी नौशाद के ‘आशियाना’ में बैडमिंटन खेलते थे रफी और दिलीप कुमार