जब काजोल अचानक रो पड़ी...
आज भी याद आता है काजोल का वह पहला इंटरव्यू
- प्रदीप सरदाना
वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक
बात 1991 की है। दिल्ली में काजोल की पहली
फिल्म ‘बेखुदी’ की शूटिंग चल रही थी। उसी दौरान फिल्म के निर्देशक राहुल रवेल ने काजोल
से मिलवाने के लिए दिल्ली के कुछ चुनिन्दा पत्रकारों को आमंत्रित किया। इसके लिए दिल्ली के कुतब होटल
में शाम को एक खास पार्टी का आयोजन किया गया।
पार्टी में तनूजा के साथ खड़ी बेहद साधारण, सांवली सलोनी एक लड़की से मुलाकात कराते
हुए राहुल ने कहा यह तनूजा जी की बेटी काजल है, हमारी फिल्म की हीरोइन। (शुरू में
काजोल को काजल ही कहते थे) मुझे उससे मिलते ही हैरानी हुई कि इतनी बड़ी स्टार तनूजा
की लड़की में कोई ग्लैमर नहीं।
अभी बाकी मेहमानों ने आना था, डिनर में भी देर थी तो मैंने काजल को अपना विजिटिंग कार्ड देते हुए कहा
आइये आपको इंटरव्यू किया जाए। काजल ने मुस्कुराते हुए कहा –श्योर।
होटल के हॉल में डिनर के लिए, एक कनात लगाकर हॉल का विभाजन किया हुआ था। बात आराम से हो सके इसके लिए मैं और काजल एकांत में कनात के दूसरी ओर रखी हुई कुर्सियों पर बैठ गए। काजल ने मेरा विजिटिंग कार्ड सामने मेज पर रख मुझसे खुशी खुशी बात करना शुरू कर दिया। काजल से कुछ देर तक हँसते बतियाते बातें होती रहीं। लेकिन काजल से अभी चंद सवाल ही किये थे कि वह अचानक रो पड़ी और झट से दोड़ते हुए बाहर भागी। मैंने बाहर झाँक कर देखा वह तनूजा के पास पहुँच उनसे गले मिल रो रही थी।
काजल के इस रुख को देख मैं घबरा गया कि आखिर
ऐसा क्या हुआ ? मैंने
तो कोई तीखा सवाल भी नहीं पूछा। कुछ और भी नहीं कहा। ये हुआ क्या? मैं काफी डर सा गया। फिर भी हिम्मत करके उनके पास पहुंच मैंने पूछा
-काजल क्या हुआ ? तभी तनूजा बोलीं -“कुछ नहीं वह खुशी से रो रही है। आज
उसके लिए पहली बार कोई पार्टी ऑर्गेनाइज हुई है, पहली बार उसका इंटरव्यू हो रहा है.” यह सुन मेरी सांस में सांस आई और मैंने
थैंक्स गॉड कहा। मैंने काजल की तरफ देखा तो वह अपनी मां के कंधे पर सिर रख
मुस्कुरा रही थी और उसकी आँखों में आंसू भी झलक रहे थे।
माँ से अलग होकर अपने आँसू
पूंछते हुए, काजोल को मेरे दिये विजिटिंग कार्ड का ध्यान
आया, जो कनात के पीछे मेज पर ही छूट गया था। यह याद करते ही
वह वापस भागते हुए वहीं पहुंची और मेरा विजिटिंग कार्ड उठा,
संभाल कर अपने पास रख लिया।
सन 1991 में जब
मैंने काजोल के फिल्म करियर का पहला इंटरव्यू किया था, तब वह मात्र 17 बरस की थी। अब 5 अगस्त को काजोल 48 बरस की हो जाएंगी। तब
तक काजोल की कोई फिल्म प्रदर्शित नहीं हुई थी। उनकी पहली फिल्म ‘बेखुदी’ 1992 में प्रदर्शित हुई थी। ‘बेखुदी’ के बाद 1993 में काजोल की जब दूसरी फिल्म ‘बाज़ीगर’ आई तो वह स्टार बन गयी।
‘बाज़ीगर’ की दिल्ली की शूटिंग के दौरान भी काजोल से जब दूसरी मुलाक़ात हुई तो उनमें
पहले से काफी फर्क आ चुका था। ‘बाज़ीगर’
देखते हुए तो यकीन ही नहीं हुआ कि यह वही काजोल है, जिसे ‘बेखुदी’ की शूटिंग के दौरान देखा था। काजोल ने अपने
अभिनय से तो सभी का दिल जीता ही। अपने अंदाज़ से सभी को मोहित कर लिया। ग्लैमर
विहीन दिखने वाली काजोल का रुपहले पर्दे पर गज़ब का आकर्षण था। काजोल अभिनय करते
हुए एक पल में ही अपने चेहरे के भाव जिस तरह बदलती है, वह
उसके अभिनय की सबसे बड़ी खासियत है।
काजोल ने अपने अब तक के 30
बरस के करियर में ये दिल्लगी, करण अर्जुन, गुप्त, इश्क़, कुछ कुछ होता है, हम आपके दिल में रहते हैं, कभी खुशी कभी गम, फना, यू मी और हम, माई नेम इज
खान, वी आर फेमिली और तान्हा जी जैसी कई शानदार फिल्में दी
हैं। काजोल की ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे’ तो देश की सबसे अधिक लंबी अवधि तक चलने वाली फिल्म का रिकॉर्ड बना चुकी
है।
उधर काजोल को अपने
उत्कृष्ट अभिनय के लिए जहां 6 फिल्मफेयर पुरस्कार सहित और भी कई पुरस्कार मिल चुके
हैं। वहाँ भारत सरकार काजोल को पदमश्री से भी सम्मानित कर चुकी है। हालांकि अजय
देवगन से शादी करने के बाद अब वह अपनी सुविधा से कभी कभार ही फिल्में करती हैं।
सन 2015 में जब काजोल ने
एक अंतराल के बाद ‘दिलवाले’
फिल्म से अपनी वापसी की तो यह फिल्म तो नहीं चली। लेकिन फिल्म में काजोल का रूप और
अभिनय दोनों देखते ही बनते थे। काजोल और तनूजा दोनों से अब भी कहीं न कहीं देर
सवेर मुलाक़ात हो ही जाती है। लेकिन काजोल का वह पहला इंटरव्यू भुलाए नहीं भूलता।
(प्रसिद्ध समाचार
पत्र ‘स्वदेश’ में 31 जुलाई 2022 को सभी संस्करणों में प्रकाशित मेरा लेख)
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